Last modified on 8 अगस्त 2012, at 16:20

चातक पिउ बोलो / अज्ञेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:20, 8 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=इन्द्र-धनु रौंदे ह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चातक पिउ बोलो बोलो!

झम-झम-झम पानी सुन-सुन रात बिहानी
दिग्वधु! घूँघट खोलो खोलो!

नभ खुल-खुल खिल आया भू-पट हरियाया
मन-विहग! पंख तोलो तोलो!

दिल्ली, 10 मई, 1954