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चातक पिउ बोलो / अज्ञेय
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चातक पिउ बोलो बोलो!
झम-झम-झम पानी सुन-सुन रात बिहानी
दिग्वधु! घूँघट खोलो खोलो!
नभ खुल-खुल खिल आया भू-पट हरियाया
मन-विहग! पंख तोलो तोलो!
दिल्ली, 10 मई, 1954