भोरहिं बोलि कोइलिया बढ़वति ताप .
धरी एक भरि अलिया! रहु चुपचाप .
बाहर लैके दियवा बारन जाई .
सासु ननद पर पहुँचत देति बुझाइ .
पिय आवत अँगनैया उठिकै लीन .
बिहँसत चतुर तिरियवा बैठक दीन .
लै कै सुघर खुरपिया पिय के साथ .
छईबे एक छतरिया बरसत पाथ .
पीतं एक सुमरिनियाँ मोहिं देई जाहु.
जेहि जपि तोर बिरहवा करब निबाहु.