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नगर-शोभा / रहीम

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उत्तम जाति है ब्राहमणी,देखत चित्त लुभाय.
परम पाप पल में हरत,परसत वाके पाय.
रूपरंग रति राज में, छ्तरानी इतरान .
मानौ रची बिरंचि पचि,कुसुम कनक में सान.
बनियाइनि बनि आईकै, बैठि रूप की हाट.
पेम पक तन हेरिकै,गरुवे टारति बाट .
गरब तराजू करति चख,भौंह मोरि मुस्काति.
डांडी मार ति विरह की,चित चिंता घटि जाति.