एहो नंदलाल! ऐसी व्याकुल पड़ी है वाल,
हाल ही चलौ तौ चलौ ,जोरे जुरि जायगी.
कहै पद्माकर नहीं तौ ये झकोरे लगै,
ओरे लौ अचाका बिन घोरे घुरि जायगी .
सिरे उप्चार्ण घनेरे घनसरन सों,
देखत ही देखौ दामिनी लौं दुरि जायगी.
तौही लगि चैन जौलौं चेतहिं न चंद्रमुखी,
चेतैगी कहूँ तौ चाँदनी में चुरि जायगी.