Last modified on 10 सितम्बर 2012, at 12:15

एहो नंदलाल ऐसी व्याकुल पड़ी है वाल / पद्माकर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:15, 10 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्माकर }} <poem> एहो नंदलाल! ऐसी व्या...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एहो नंदलाल! ऐसी व्याकुल पड़ी है वाल,
            हाल ही चलौ तौ चलौ ,जोरे जुरि जायगी.
कहै पद्माकर नहीं तौ ये झकोरे लगै,
            ओरे लौ अचाका बिन घोरे घुरि जायगी .
सिरे उप्चार्ण घनेरे घनसरन सों,
            देखत ही देखौ दामिनी लौं दुरि जायगी.
तौही लगि चैन जौलौं चेतहिं न चंद्रमुखी,
            चेतैगी कहूँ तौ चाँदनी में चुरि जायगी.