Last modified on 27 सितम्बर 2012, at 09:46

सासु जरातुरि भेली / विद्यापति

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:46, 27 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विद्यापति }} {{KKCatKavita}} <poem> सासु जरातुर...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


सासु जरातुरि भेली, ननन्दि अछलि सेहो सासुर गेली,
तैसन न देखिअ कोई, रयनि जगाए सम्भासन होई,

एहि पुर एहे बेबहारे, काहुक केओ नहि करए पुछारे,
मोरि पिअतमकाँ कहबा, हमे एकसरि धनि कत दिन रहबा,

पथिक, कहब मोर कन्ता, हम सनि रमनि न तेज रसमन्ता,
भनइ विद्यापति गाबे, भमि-भमि विरहिनि पथुक बुझाबे .