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मोरन की सोरन की नैको न मरोर रही / ग्वाल

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मोरन की सोरन की नैको न मरोर रही,
              घोरहू रही न घन घने या फरद की.
अंबर अमल,सर सरिता बिमल भल
              पंक को न अंक औ न उड़न गरद की.
ग्वाल कवि चित्त में चकोरन के चैन भए,
              पंथिन की दूर भई, दूषन दरद की.
जल पर थल पर,महल अचल पर,
              चाँदी सी चमक रही चाँदनी सरद की.