Last modified on 10 दिसम्बर 2012, at 11:04

मेरी लेखनी / जय जीऊत

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:04, 10 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जय जीऊत |संग्रह=आक्रोश / जय जीऊत }} [[C...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे पास जो कुछ था
जितना कुछ था
तुम उसे हड़प चुके हो
हथिया चुके हो ।
अब तुम्हारे हाथों
गिरवी है प्रायः मेरा सब कुछ-
मेरा जीवन स्वप्न
मेरे बोलने का अधिकार
मेरे विद्रोह का अख्तियार
पर तुम कब्ज़ा नहीं कर पाओगे
मेरी लेखनी पर ।
मेरी लेखनी –
मेरे होने का एहसास है
मेरी पहचान की कसौटी है
मेरे भविष्य का हथियार है
मेरी सृजनशीलता का औज़ार है
अभिव्यक्ति का आधार है ।
अभिव्यक्तिहीन होकर
मैं जी नहीं सकूंगा
जीना मेरे लिए एक सज़ा होगा
इसीलिए
मेरी लेखनी पर
पहरा बिठाने का तुम्हारा संकल्प
बेकार है
बेमानी है
तुम इसे गांठ बांध लो ।