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मानव जीवन / कल्पना लालजी

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जीवन एक संघर्ष
नहीं आसमान बहुत ही कर्कश
स्थान नहीं इसमें फूलों का
है पूर्ण पीड़ा और शूलों का
मृत्यु है इसका सत्य
निष्ठुर किंतु नहीं असत्य

सदियों से मानव झेलता आया
यह क्षण कभी बदल न पाया
जन्म

खुशियों से भरपूर
अतिथि, सेवा, सत्कार
मृत्यु

अश्रु से चूर-चूर
आगमन और निर्वाण
यही है मानव जीवन