आज़ादी के मुखौटे से
झाँक रही है
आज मोनोक्रेसी
हड़ताल और नारों को
अब कौन सुनेगा?
जन-कीटों पर गैस बरसाकर
और संगीनें तानकर
अकड़कर जीते हैं
कीड़ों के प्रतिनिधि !
आज़ादी के मुखौटे से
झाँक रही है
आज मोनोक्रेसी
हड़ताल और नारों को
अब कौन सुनेगा?
जन-कीटों पर गैस बरसाकर
और संगीनें तानकर
अकड़कर जीते हैं
कीड़ों के प्रतिनिधि !