कुछ यों
तोड़ता हूं -
जीवन में सिर नहीं, कविता में शिल्प!
फोड़ सकता हूं पहला, दूसरे के लिए
(कि) हत्यारा नहीं
हूं तो तथाकथित कवि ही
कुछ यों
तोड़ता हूं -
जीवन में सिर नहीं, कविता में शिल्प!
फोड़ सकता हूं पहला, दूसरे के लिए
(कि) हत्यारा नहीं
हूं तो तथाकथित कवि ही