Last modified on 14 फ़रवरी 2013, at 12:42

जगह रखना / नीना कुमार

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:42, 14 फ़रवरी 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीना कुमार }} {{KKCatGhazal}} <poem> यादों के नशे...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यादों के नशेमन में इतनी तो जगह रखना
नए लम्हे सजाने की कोई तो वजह रखना

ना जाने किस वक़्त सबा, खुशबु-ए-गुल लाये
किवाड़ को खुला तुम, खिड़की की तरह रखना

पर बिखर जाना न हवा में, कतरों की तरह तुम
जज़्बात को वज़न देना, खिरद की सलाह रखना

तारीख़ नहीं है, सिर्फ दास्तान-ए- शहन्शाह
अपनी कहानी में, हर पत्थर को गवाह रखना

सिअह रात हो जितनी, जुगनू की चमक उतनी
तुम जल के हर पल 'नीना' शब् में सुबह रखना