खुद सुबह सर्दी से ठिठुरती
अलसाई अलसाई
पिछवाड़े की झाड़ियों में अटकी हुई
कोहरे के चादर में मुँह छिपा
इतनी सिकुड़ गयी है
घबरा कर बाहर आ कर
चाय की चुस्की लेने से भी
डर गयी है
खुद सुबह सर्दी से ठिठुरती
अलसाई अलसाई
पिछवाड़े की झाड़ियों में अटकी हुई
कोहरे के चादर में मुँह छिपा
इतनी सिकुड़ गयी है
घबरा कर बाहर आ कर
चाय की चुस्की लेने से भी
डर गयी है