Last modified on 8 जून 2013, at 11:59

अनुपस्थिति / कुमार अनुपम

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:59, 8 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार अनुपम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यहाँ
तुम नहीं हो

तुम्हारी अनुपस्थिति के बराबर
सूनापन है विचित्र आवाजों से सराबोर
धान की हरी हरी आभा
और महक है
मानसून की पहली फुहार की छुवन
और रस है

तुम नहीं हो यहा
तुम्हारी अनुपस्थिति है