Last modified on 15 जून 2013, at 06:25

ईश्वर / बसंत त्रिपाठी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:25, 15 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बसंत त्रिपाठी }} {{KKCatKavita}} <poem> ईश्वर है ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ईश्वर है तो देर सबेर
कर्मकांड भी है

कर्मकांड है तो
फिर उसे पूरा कराने वाले
परजीवी भी

अब परजीवी तो
मेहनत करने से रहे
वे तो किसी का
खून चूस कर ही पलेंगे

परजीवी फिर शासन को
नए ढंग से परिभाषित करेंगे

प्रियवर, अब ठीक से सोचो और कहो
ईश्वर के बारे में
तुम्हारा क्या विचार है?