जगमग मुख
औंधे पड़े हैं सब स्वप्न
हमारे
माह-माह वर्ष-वर्ष तक
प्रतिक्षा है पुरजोर उन्हें
हमारी
कूपमंडूकों का अंतिम निष्कर्ष भी
उनकी जेब में पसीज रहा है
सब हँस रहे हैं
आपस में
जगमग मुख
औंधे पड़े हैं सब स्वप्न
हमारे
माह-माह वर्ष-वर्ष तक
प्रतिक्षा है पुरजोर उन्हें
हमारी
कूपमंडूकों का अंतिम निष्कर्ष भी
उनकी जेब में पसीज रहा है
सब हँस रहे हैं
आपस में