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राष्ट्रगीत / पाण्डेय कपिल

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सृष्टि में स्वर्ग जो अगर बाटे
देश भारत हमार घर बाटे
छांह एकर बा हिमालय पर्वत
बाड़ बाड़ब के त लहर बाटे।

फूल फल पेड़ अउर पौधा से
लहलहाइल इहाँ के डर बाटे
बन-खनिज-सम्पदा भरल-पूरल
रत्नगर्भा इहाँ के जर बाटे।

मोर पर खोल इहाँ नाचेला
इहाँ कुहूँकट कोइलर बाटे
तोता बोलेला, तूती बोलेला
इहवाँ पपिहा के पी के डर बाटे।

मिथुनरत कौंच बध भइल इहवाँ
काव्य के जन्म के पहर बाटे
मेह इहवाँ सनेस ले जाला
उहवाँ जहवाँ पिया के घर बाटे।

गंगा यमुना आ कृष्णा कावेरी
भक्ति सरधा के मानसार बाटे
वेड गीता पुराण रामायण
इहवाँ के ज्ञान के शिखर बाटे।

धर्मनिपेक्ष देश भारत में
धर्म के भाव पुरअसर बाटे
हिन्दू मुस्लिम इसाई सिख बउध
सब में सह-भव के पसर बाटे।

वेश भूषा रिवाज में इहवाँ
अइसे वैविध्य त प्रखर बाटे
किन्तु कश्मीर से केरला तक
एक ही भावना के लर बाटे।

इहवाँ भाषा अनेक बा, बाकिर
सब में बस एक भाव स्वर बाटे
एकटा बा अनेकता में इहवाँ
इहाँ राष्ट्रीयता अमर बाटे।