Last modified on 16 जुलाई 2013, at 21:54

नदी-किनारे / विकि आर्य

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:54, 16 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विकि आर्य }} {{KKCatKavita}} <poem> नदी-किनारे लम...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नदी-किनारे
लम्बी घास में
अंगुलियाँ फिरा जाती है हवा,
जैसे एक अनाथ बच्ची के सर पर
हाथ रख जाती है हवा.
झड़ जाती है ओस
जैसे उसकी आँखों से आँसू,
बिखर जाती है धूप,
फिर खिलखिलाहट सी...
यहाँ-वहाँ