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सीमा / उमा अर्पिता

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मेरे जीवन के
प्रत्येक कोण का
केंद्र बिंदु
तुम्हारे अस्तित्व का हिस्सा
बन गया है…
कितना सिमट गया है
मेरी सोच का दायरा…!