Last modified on 3 अगस्त 2013, at 17:05

रहमत / शर्मिष्ठा पाण्डेय

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:05, 3 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शर्मिष्ठा पाण्डेय }} {{KKCatGhazal}} <poem> खाल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खाली है जेब, खाली पेट है तो क्या हुआ
महबूब को दें चाँद, इनायत तो देखिये
 
सोया हुआ एक शेर है, हिन्दोस्तां अपना
चूहा भी है ललकारता हिम्मत तो देखिये

उफ़! दुश्मने दोशीजा की नज़रों से हैं घायल
हैं नौजवां ये कैसे बेगैरत तो देखिये

बीमार बाप खाट पे कराहता मरे
देंगे वतन पे जान, देशभक्त देखिये

भाषण की गूँज से हिलाते हैं कुतुबमीनार
सरकारी नल भी जिनके अस्त-व्यस्त देखिये

जो खींचते रहे हैं शपा सरे-शाम दुपट्टा
सर्दी में बांटे कम्बल ये नौबत तो देखिये

भूखा मरे किसान फिर भी सड़ रहा अनाज
चंगेजी दलालों की ये रहमत तो देखिये

 नयी रोज़, योजनाओं में संवर रहा भारत
इन कागज़ी फूलों की मसर्रत तो देखिये

ये हैं अमन पसंद, भले लुटता हो वतन
कानों में तेल डाल, सियासत तो देखिये

बह गयी झोपड़ी है, फिर इस बार बाढ़ में
'बुत' पार्क में मजबूत है, मेहनत तो देखिये