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मैखाना / शर्मिष्ठा पाण्डेय

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सबको तकाजे इश्क के
हर दिल में प्यार है
हुजल-ए-ज़र्रीं में देखिये
सजता दीनार है

बेमायने लम्हों से
चुराए गए हैं पल
काटेंगे यूँ ही देखिये
उम्रे-दयार है

भटका किये सहरा में
रोज़, बे-सरो-सामाँ
क्या, काफिलों को देखिये
मंजिले-यार है

ये वक्त तंग, जहन तंग
और, तंगदिल शपा
मर्गे-जुनूँ है देखिये
जीना बेकार है

मुझको भी पिला दे
के, मैखाना बुलंद हो
वर्ना, शराब देखिये
मयकस की हार है