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हमरे माध्यम से तहार लीला / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’

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हमरे माध्यम से तहार, लीला होई साकार
एहीं से हम अइलीं हे प्रभु, इहँवा एह संसार
खुल जाई हमरा घर के, सब बंद कपाट-केवड़ी
मिट जाई हमरा मनके, सब अहंकार-विकर
जब ना कुछ बाकी रह जाई, जग में हमर हमार
तब हमरा में आनंदमय लीला होई साकार
सकल वासना मरी हृदय के, पाके प्रेम तहार
एकमात्र तूं ही तब रहबऽ, जीवन के आधार।