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शत्रु-शिविर / अचल वाजपेयी

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शत्रुओं के बीच

सर्वथा सुरक्षित हूँ

वहाँ आदमी आदमी है

चाकू सिर्फ़ चाकू है

हत्या का अर्थ सिर्फ़ हत्या है

वहाँ सूर्योदय का प्रतीक नहीं

कोहरे का चालाक हस्तक्षेप

प्रत्येक संकेत तेज़ करता है

सुषुप्त जिजीविषा


किन्तु प्राय: मित्रों के बीच

उचित तालमेल की खोज में

अपाहिज समझौते स्वीकारता

वक़्त के काग़ज़ पर

खींच भर पाता हूँ हस्ताक्षर


जहाँ तक इबारत का प्रश्न है

वह शत्रु-शिविर ही देता है