मैं अर जगबीर बालकपण तैं सां घणे कसूते यार
मजाक मजाकां में शर्त लागग्यी तेरी मूंछ करादूं पार
मैं बोल्या ना मूंछ कटाऊं तू कितण ए हांगा ला ले
बोल्या इसा पंवाड़ा रच दयूंगा तूं भाज कै मूंछ कटा ले
मै बोल्या हो मर्द मूछैल बांका अर पूंछ बांकी घोड़ी
सींग बांकी भैंस हुअया करै नैन बांकी गोरी
बोल्या जुबान तैं बांका मर्द हो अर घोड़ी बांकी चाल
दोझ बांकी भैंस हो अर गोरी जो जणैदे बांका लाल
मैं बोल्या चल छोड़ राअड़ नै मन्नै घणा ना समझावै
तूं क्यूं जलता, तनै कै सैधैं के तेरै मीटर मं खर्चा आवै
म्हारी सौ रूपयां की सरीत लागग्यी उसनै कसूती तरकीब लड़ाई
पचास रूपये की मेरी घर आली तै उल्टैबळ सरीत लगाई
उसै दिन मेरी अर घर आली की होग्यी घणी तकरार
न्यूं बोली घणा बूढा लाग्गै आजै मूंछ मुण्डा भरतार
मैं नाट्या वा त्यार हुई झट अपणे पीहर जाणे न
मैं रोकण लाग्या वा पड़ी टूट कै रिपोर्ट लिखा दयूं थाणे मं
छोहरा लेकै घर तैं लिकड़ी सिर पै ट्रक धरया धिकताणे तं
आटा सब्ब्जी कुछ ना छोड़या सांझ न मेरे खाणे न
था बोहिया खाली पर भैंस खड़ी थी दूध तैं काम चलाणे न
पर भैंस कसूती उसकै हाथळ क्यूंकर काढूं धार
लंहगा ओढणी टंगें खूंटी पै दिन छिपै पहर हुअया त्यार
लंहगा पहर कै बाल्टी ठाई धार काढण चाल्या
सूंघ सांघ कै भैंस कूदग्यी मेरा कालजा हाल्या
छोह म्हं आकै, लाठी ठाकै, भैंस कै पाड़ी चार
बेल तुड़ा के भैंस भाजग्यी गाळां म्हं पड़ी किलकार
मैं गेल्यां भाज्या घूंघट खुलग्या मूंछ फर्राके ठारही
मेरै गाम के बालक डले माररे सै कोए डाकण स्याहरी
भाज लूज कै उल्टा आया मन्ने टोहया रूलिया नाई
मूंछ मुण्डा कै सारै टोही भैंस कती ना पाई
आगले दिन सुसराड़ पहुंचग्या उल्टी लावण घर आल़ी
उड़ै साला हांसै सालेह हॉंसै अर हांसै सारी साल़ी
सरीत के रूपये गए, भैंस गई अर साथे भैंस की पूंछ गई
छोहरा अर बहु तो उल्टे ले आया पर मेरी सबतै प्यारी मंूछ गई
सांप अर बिच्छू बेशक मिलीयो अर चाहे करो शेर की टहल
पर बहकटी लुगाई अर छाकटा यार ना मिलीयो कहता रामफल चहल
जगबीर बोल्या तेरी ठीकै सधरी सै तेरे सिर पै दिखै सच्चा करतार
नाश तो उनका हो जिसनै मिलज्यां छाकटी लुगाई अर बहकटा यार