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अखत पुसब / अर्जुनदेव चारण

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बेटियां
स्त्रिस्टी रौ
अखत पुसब है

आंरै कारण
चिळकतौ रैवै आंगणौ
आंरै कारण
सौरम बिखेरै रसोई

हरेक घर रा
किंवाड़
आंनै ओळखै
परींडौ
आंरी आंगळियां चूस
करै काळजौ ठंडौ

सगळां नै
तिरपत करती
वे
तळीजै आखी जूण
पण
नीं खूटै
आंरी सौरम

बेटियां
स्त्रिस्टी रौ
अखत पुसब है