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आगियो / कृष्ण वृहस्पति

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म्हांनै अरथ सोधणा है
उण जियारै रा
जिकै री सांसां रै लाग्योड़ा है-
बिलांत-बिलांत माथै सांधा।

म्हांनै करणी है
उण संबंधा री जोख
जिकां नै जळम स्यूं ढोया है
म्हूं म्हांरै लोई-झांण मगरां माथै।

म्हैं बूझणो चावूं
उण सुपनै रो साच
जिकै मांय आप
म्हारी चामड़ी री जाजम बिछायां
करै हा बैसका पड़ियोड़ा बळदां रै साथै
मजलस।

म्हारै इण सोध री सींवां
अंधारै री एक समूळी दुनिया है
अनै आस रो
फकत एक आगियो
जिण रै लारै पड़ियोड़ो है
टाबरां रो एक टोळो
आपरी नान्ही-नान्ही हथेल्यां रा
सिकंजा लियां
कांई ठा कद सूं ?