Last modified on 16 अक्टूबर 2013, at 11:03

परिवर्तन / शशि सहगल

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:03, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |अनुवादक= |संग्रह=कविता ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चारों ओर फैल गया है विद्रोह
कहीं भी सुरक्षित नहीं हम
घबराहट में
भागती हूँ
खैरगाह की ओर
पर बड़ी देर कर दी मैंने
यहाँ पहुँचने से पहले
खैरगाह
खूनगाह में बदल चुकी थी।