ऋतु की पहली बरसात
मिट्टी की गंध
न सोंधी
न रोमांचक।
रुचियाँ बदल गई हैं अब
पसन्द था तुम्हें कभी
मेरे संग बरसात में भीगना
आज
भीगते हुओं को देखना।
ऋतु की पहली बरसात
मिट्टी की गंध
न सोंधी
न रोमांचक।
रुचियाँ बदल गई हैं अब
पसन्द था तुम्हें कभी
मेरे संग बरसात में भीगना
आज
भीगते हुओं को देखना।