Last modified on 16 अक्टूबर 2013, at 11:31

समर्पण / शशि सहगल

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:31, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |अनुवादक= |संग्रह=कविता ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जीवन और घड़ी की सुइयाँ
दोनों चल रही हैं
अपनी रफ्तार से
सभी दिन और सारे पल
मैं
तुम्हारे प्यार में स्नात
तुम्हारे लिए जीना चाहती हूँ
हाँ, केवल तुम्हारे लिए।