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इच्छ्या / प्रमोद कुमार शर्मा

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होळै-होळै
रेडियौ सुणन री इच्छ्या
इच्छ्या
भौत सारौ पढ़ण री ..... लिखण री !
इतरौ कुछ करण री
जितरौ नीं हू सकै पूरौ
एक जीवन मांय।
पण अगलै ही छिन
आस रौ बीज
डूब ज्यावै लोई री नदी मांय
अर बरसण लागै खीज
देख.....देख‘र उजाड़-सुनाड़ !

होवै इच्छ्या
जी भर‘र रोवण री
पण हू ज्यावै सवार
पूरै डील माथै
इच्छ्या सोवण री !

अर म्हूं ओढ़‘र थाकेलौ सगळै दिन रौ
हू ज्याऊं लमलेट
मांची ऊपर !