Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 13:10

म्हारी कविता 3 / रामस्वरूप किसान

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:10, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

म्है कवि कोनी बावळी !
कारीगर हूं
थारी-म्हारी प्रीत रौ
मै‘ल चिणूं

इण बीच
काट-छांट में
जकौं ई कीं
झड़ै
उण नै ई
कविता गिणूं।