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भोभर / श्याम महर्षि

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चूल्है री भोभर
उडीकै
घर धिराणी नै
कै कद दिन ऊगै
अर कद करै
चेतन म्हनै,

भोभर स्यूं
सेकै रोटी
घर धिराणी
अर कडूंबै रै
लोगां रे
पेट री बुझावै आग

भोभर री
आ मंषा कदैई नीं रैयी
कै बा कोई
तोप या बम्ब मांय
लेवै आसरो
अर पछै
किणी बेगुनाह रा
लेवै प्राण

भोभर आ ई
नीं चावै कै बा
रोही रै मांय
दावानळ बण‘र
बनरा पंख-पंखेरूआं
अर जिनावरां
नै बाळै

भोभर री मंषा है कै
गांव रै किणी
करसै री
रसोई मांय इज रेवै,

भोभर चावै
सिजाणी किणी
घर मांय
मोठ-बाजरी री खिचड़ी
कै उण री गाय रो गुवार
बा चावै
भाकफाटै री
रोटिया सैकणी
टाबरां खातर

भोभर
आ ई चावै
कै सियाळै मांय
म्हा सूं तपै
गांव गुवाड़ रा
लोग अर
ठरता टाबर
जिण सूं
म्हारो जमारो
सुधर सकै।