Last modified on 18 अक्टूबर 2013, at 09:12

द्रोणपुर / श्याम महर्षि

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:12, 18 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आ भौम
रैयी है सदां
मोटा जुद्धा री साक्षी
कैई बार
महल माळिया
बण्या अर उजड़या है अठै,

इण रै नेड़ै ई
ठाड़ौ मैदान
गवाह है
इण बात रो,
कै मोकळा
जुद्ध हुया है अठे,

रगत रा फूल
खिल्या अर मुरझाया
है अठै
तो कैई बार हुई
धरती राती अठै,

कदै ई अठै
गुरूकुल आश्रम मांय
भणिया पाण्डव अर कौरव भाई
भीम दांव
अर अर्जुन बाण
चलावणो सिख्यो अठै,

युद्धिष्ठर राखतो
साच री आण
अर कौरव करता रैया
ईर्ष्या अठै,
इणी भौम माथे
रैय‘र
गुरद्रोण
दिया ज्ञान छत्री धरम रो,

दूध खातर
रुश्यो अश्वथामा
एक दिन अठै,

लाडेसर चेलै
अर्जुन री
खिमता सारू
एकलव्य रो अंगूठो
बाढ़ण रो हुयो
निष्चै अठै,

महाभारत रा
शिशुपाल वंशज
डाहलिया छत्रियां रो
घणा दिन राज रैयो अठै,

बागड़ी सरदारां रो
रूतवो झेल्यो
धरा अठै री,
मोहिल राणां री
इण धरती माथे हुया जुद्ध अलेखूं अठै।

माणक मोहिल री
बेटी कोडमदै
जाई अठै,

राठौड़ रणबंका
धुजाई धरती
कै छत्र्यां, देवळयां
बोलै इतियास
द्रोणपुर रो अठै,

इण धरती माथै
हिरण भरता रैया चौकड़ी
कै गांवती रैयी
कमैड़ी गीत अठै,

गाज्या बादळ
अर नाच्या मोर
कै बैरण बिजळी
चिमकी अठै,

मोटा जुद्धां री
साथी आ धरती,
कैई बार
बण्या महल माळिया
तो कैई बार
उजड़ी धरती अठै।