अरे भाई
कर रहे हैं आप क्या
इस पुराने गए- बीते शहर में
यहाँ पिछड़े वक्त रहते
तंग गलियों में
गोकि यह माहौल बनता
कई सदियों में
ताज्ज़ुब है
लोग कहते हैं यहाँ के
ग़ज़ल अब भी बहर में
बज रही है कहीं वंशी
दर्द के सुर में
उधर जलसे हो रहे हैं
दानवी पुर में
आप बैठे नदी-तट पर
क्यों अकेले
जप रहे हैं रामधुन दोपहर में
पोथियों में ज़िक्र है
यों तो इस शहर का
देवता अब भी यहाँ का
घूँट पीता है ज़हर का
शहर का है असर ऐसा
हो गई
तासीर अमरित की ज़हर में