Last modified on 6 दिसम्बर 2013, at 13:22

नागफनी / अनुलता राज नायर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:22, 6 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुलता राज नायर |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आँगन में देखो


जाने कहाँ से उग आई है
ये नागफनी....
मैंने तो बोया था
तुम्हारी यादों का
हरसिंगार....
और रोपे थे
तुम्हारे स्नेह के
गुलमोहर.....
डाले थे बीज
तुम्हारी खुशबु वाले
केवड़े के.....
कलमें लगाई थीं
तुम्हारी बातों से
महके मोगरे की.......


मगर तुम्हारे नेह के बदरा जो नहीं बरसे.....
बंजर हुई मैं......
नागफनी हुई मैं.....

देखो मुझ में काटें निकल आये हैं....
चुभती हूँ मैं भी.....
मानों भरा हो भीतर कोई विष .....


आओ ना,
आलिंगन करो मेरा.....
भिगो दो मुझे,
करो स्नेह की अमृत वर्षा...
कि अंकुर फूटें
पनप जाऊं मैं
और लिपट जाऊं तुमसे....
महकती,फूलती
जूही की बेल की तरह...
आओ ना...
और मेरे तन के काँटों को
फूल कर दो...