Last modified on 6 दिसम्बर 2013, at 13:36

अँधेरा / अनुलता राज नायर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:36, 6 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुलता राज नायर |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अंधेरे को मैंने
कस कर लपेट लिया
आगोश में
भींच लिया सीने से इस कदर
कि उसकी सूरत दिखलाई न पड़े.
पीछे खडी
कसमसाई सी रौशनी
तकती थी मुझे

अँधेरे से जल गयी लगती है रोशनी!!