Last modified on 20 दिसम्बर 2013, at 09:02

सुनु ललना हे / भोजपुरी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:02, 20 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुनु ललना हे,
जोतल खेत बोएले मधु काँकर, से हो गुरूमी होइ जाय
जेकरो तिरियवा अइसन सुन्नर, से हो कइसे पर-घर जाय
कि चना उगी के बइरि भइले रे, बइरी भइले छवो मास।।१।।
सुन ललना हे,
मोरे पिछुअरवा बढ़इया भइया हितवा, पावाँ चाछिय मोहि देहु
ताहि पर चढि़ हम जइबों, त देखलों में पियवा के खेल
कि चना उगी के बइरि भइले रे, बइरी भइले छवो मास।।२।।
सुनु ललना हे,
एक गोरे पउवा, दोसरे चटकउवा, तीसरे अन्हारी रात
बिजली चमके चहुँ ओर, देखलों में पियवा के खेल
कि चना उगी के बइरि भइले रे, बइरी भइले छवो मास।।३।।
सुन ललना हे,
तलफी तमकुआ के, हूँका नरिअरवे के रे, सभवा पिएले जाँघा जोरि
कि चना उगी के बइरि भइले रे, बइरी भइले छवो मास।।४।।
सुनु ललना हे,
मोरा पिछुअरवा बनिया भइया हितवा
महुरा आनिय-मोहि देहु, कि छुटि जइहें पियवा सनताप
कि चना उगी के बइरि भइले रे, बइरी भइले छवो मास।।५।।
सुनु ललना हे,
जाहु तुहुँ धनिया माहुर खाइ मरबू, त कई लेबों दोसरो बियाह
कि चना उगी के बइरि भइले रे, बइरी भइले छवो मास।।६।।