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जन्मदिन / राजा खुगशाल

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जन्ममदिन
साल में सिर्फ एक बार आते हो तुम
उत्साेह और उम्मी दों के साथ
नए विचार और नए संकल्पोंम के साथ
बार-बार आना चाहिए तुम्हें

अंधेरे में रोशनी की तरह
रोशनी के पुल पार करती हुई आवाजों की तरह
गाँव से गाँव तक
शहर से शहरों तक पहुंचना चाहिए

जैसे शब्दर आते हैं कविता में
प्रवास से लौटकर पंछी आते हैं
आते हुए ऐसा दिखना चाहिए तुम्हें
जैसे मुसाफिर दिखते हैं पगडंडियों पर
पहाड़ों पर बर्फ और घाटियों में नदियाँ
खेतों के आसमान में बादल
और खत्तियों में अनाज

जैसे तनख्वा ह का दिन आता है
जैसे राशन आता है घरों में
समुद्र में ज्वार आता है जैसे
जैसे सन्नाटे में तूफान
बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन
जैसे नहर में पानी
खिड़कियों से धूप और हवा
जैसे फल आते हैं पेड़ों पर
जैसे अपने गाँव आते हैं वर्षों बाद लोग

जन्म दिन तुम्हारे आने पर
जन्म होना चाहिए एक नए दिन का।