वृक्ष की भाग्यखशाली बाहें हैं इसमें
हथेली पर रख कर इसे
आसानी से कह सकते हैं नाचीज
बीज उद्भव है
सुगंध का स्रोत
जीवन का स्फुोरण
चुसी हुई गुठली न कहो इसे
हमने चट्टानों की दरारों में
उगने की योजना बनाते देखा है इसे
जमीन के नम अंधेरे में सुगबुगाते हुए सुना
मिट्टी के कण-कण से
जूझते हुए महसूस किया
पर्त-दर-पर्त भूख का भरोसा है बीज
गेहूँ-जौ ज्वातर-बाजरे की बालियों में
फसल के साथ कुछ इसी तरह
जैसे मैं हूँ अपने समुदाय के साथ
चुसी हुई गुठली न कहो इसे
आगत समय का पीपल है बीज
बरगद है
आम-अमलतास
चीड़-देवदार
साल-सागौन
बांस और बुरांस है
अच्छेऔ भविष्यज में
अपनी जड़ों के जरिए बीज
जमीन को टूटने से बचाएगा
आसमान में कांपेगा और बादलों को बुलाएगा
बीज के सिवाय इसे कुछ न कहो
लड़ते हुए लोगों को
फुर्सत की छाया देगा बीज
अपने गाछों से चिड़ियों के गीत सुनाएगा
और सन्नाोटे में सांय-सायं बजेगा
कुछ भी बन सकता है बीज
अपने अच्छेस भविष्यस में
कारीगर के हाथों से रेल का डिब्बां
मेज-कुर्सी, किताबों का सेल्फ
कुछ भी बन सकता है बीज
कुदाल-दरांती
खाट का पाया
हंसिया और हथौड़ की बेंट
पशुओं की आँतों में
गोदाम में सड़ सकता है
चिड़ियों की चोंच का ठुंगा कहीं भी पड़ सकता है
माली के प्याोर के बिना भी
उजाड़ में उगने की क्षमता है बीज।