Last modified on 6 जनवरी 2014, at 00:39

बदरिया / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:39, 6 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घूम-घूम बरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।

तप्त हृदय की ताप सिरानी,
हुई मयूरों की मनमानी ।
देखो जिधर उधर ही पानी,
भरती सर सरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।
घूम-घूम बरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।

श्यामा-सी इठलाती आई ।
लतिकाएँ लहराती आई ।।
श्याम रंग दरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।
घूम-घूम बरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।

वन कुंजें वह फूलों वाली ।
कालिन्दी वह कूलों वाली ।।
सावन की छवि झूलों वाली,
बिन देखे तरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।
घूम-घूम बरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।

देख नहीं वह शोभा पाती,
अविरल अश्रु धार बरसाती ।
हृदय तड़पता जलती छाती,
विरह-ज्वाल झरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।
घूम-घूम बरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।

आई चली सवार हवा पर,
कलियुग को समझी थी द्वापर ।
रोई-धोई क्या पाया पर,
गई हाय ! मरती रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।
घूम-घूम बरसी रे बदरिया ।
झूम-झूम बरसी रे बदरिया ।।