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राष्ट्रीयता / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

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साम्यवाद बन्धुत्व एकता के साधन हैं,
प्रेम सलिल से स्वच्छ निरन्तर निर्मल मन हैं ।
डाल न सकते धर्म आदि कोई अड़चन हैं,
उदाहरण के लिए स्वीस है, अमेरिकन है ।।
                 मिले रहे मन मनों से अभिलाषा भी एक हो,
                 सोना और सुगन्ध हो यदि भाषा भी एक हो ।
                 अंग राष्ट्र का बना हुआ प्रत्येक व्यक्ति हो,
                 केन्द्रित नियमित किए सभी को राजशक्ति हो ।
भरा हृदय में राष्ट्र गर्व हो देश भक्ति हो,
समता में अनुरक्ति विषमता से विरक्ति हो ।
राष्ट्र पताका पर लिखा रहे नाम स्वाधीनता,
पराधीनता से नहीं बढ़कर कोई हीनता ।।