Last modified on 8 फ़रवरी 2014, at 15:07

अनसुलझा प्रश्न / उमा अर्पिता

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:07, 8 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उमा अर्पिता |अनुवादक= |संग्रह=धूप ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आश्चर्य है मुझे
बुद्धिवादी कहलाने वाले
मेरे तमाम दोस्त
अँधे, बहरे या गूँगे हो गये हैं।
मैं समझ नहीं पायी
ऐसा क्यों और कैसे हुआ!
किस गुनाह के तहत
नोंच लिये गये उनके दिमाग
और विचारों को बेजुबान कर दिया गया
या फिर ऐसा तो नहीं
कि उनकी जुबान
उल्टी लटक गयी हो खुद ही
चमगादड़ की तरह उनके पेट में...
हो ऐसा भी सकता है
कि जिजीविषा की छटपटाहट में
उन्होंने अपनी सोच को
सोने के बिस्कुटों से
विनिमय कर लिया हो
ये सब कुछ हो सकता है
और ये सब नहीं भी हो सकता है!
मैं हैरान और परेशान हूँ
कि किस तरह
दोस्तों की आवाज़ में
असर पैदा हो!