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अकेले हैं... / उमा अर्पिता

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उदासियों का
सावन
बरस रहा है रिमझिम
भीगने को
हम अकेले हैं...

हँसी-खुशी की छाँह में तो
आ खड़े होते हो तुम भी
दुःखों के जेठ में
जलने को
हम अकेले हैं...

मंजिल मिलेगी
जीवन के जिस मोड़ पर
साथी होने का दावा करोगे तुम
अभी तो कंटीली राहों पर
चलने को
हम अकेले हैं...