मिलना चाहती थी
स्याह बादलों से
जो बरस पड़ते हैं
इस बिखरती हुई आधी रात में
खाली खुले छत पर
चांद की रौशनी में
बुलाते हैं रात भर
बुलाते हैं
नीले और आसमानी बादल
कहते हैं तुम्हारे शहर में हम आए हैं
पीली मिट्टी के रास्तों
मोहगनी के घने पेड से गुजरकर
तुम्हारी गली में बरस रहे हैं
वे बड़े नसीब वाले हैं राहगीर
जो कायनाती आसमान का दीदार करते हैं
तारों के उजास में
बादलों के सीने से लिपटे
खुली सड़कों पर भीगते रहते-भीगते जाते।