Last modified on 23 मार्च 2014, at 20:55

आतंकवाद / रफ़ीक शादानी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:55, 23 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रफ़ीक शादानी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बुरे काम का बुरा नतीजा
भीतर से मन बोला
पाए गए जब नोट का गड्डा
तन डोला मन डोला
रामलला पर फेकै आए
कुछ लोगै हथगोला
उनइ के हथवन में
दग्गा हो गए उड़नखटोला
यहकी ख़ातिर करो ज़िहाद
मिटे विश्व से आतंकवाद
पांच के नालायक औलाद
तोसे तो अच्छे ज़ल्लाद
बड़े बहादुर बनत हौ बेटा
आए के देखो फैज़ाबाद