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समय / मन्त्रेश्वर झा

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ओना तऽ समय समय रहैत अछि
मुदा कखनो के जे करू
जेना करू, समय
असमय बनि जाइत अछि
कहियो के समय काल बनि
जाइत अछि
अकाल बनि जाइत अछि।
समयक परिभाषा
भाषाक विवशता मे
ओझराहटि बनि जाइत अछि
जंजाल बनि जाइत अछि
समय के के पकड़ि सकैत अछि
ओकरा संग ससरय पड़ैत छैक
किएक तऽ समय
ससरैत रहैत अछि
जेना, समय समय नहि भेल
संसार भऽ गेल।
ओहिना मोन अछि
नवगछुली लगओने रही
गाछ बढ़ल, मोजरायल
आम फड़ल, पाकल
बिहाड़ि आयल आ गाछ खसल
बाढ़ि आयल आ गाछ सुखायल
गाछ पहिने पुष्ट भेल
फेर किछु ने किछु भेल
आ गाछ ठुठ्ठ भऽ गेल
समय एहिना लोकके सेहो
ठुठ्ठ कऽ दैत छैक
सभटा असार-पसार
देखार आ अन्हार मे
अर्जित पाइ, पद, प्रतिष्ठा
सभटा ओहिना
जरि जाइत छैकजेना ठुठ्ठ गाछक
जारनि कि, काठ
समय केवल संवेदना शास्त्रक
शोध करैत अछि
जे समय जवानीमे अमृत मंथन लगैत छैक
सैह देखिते देखिते भऽ जाइत छैक
समुद्र जकाँ अथाह
नोनगर आ बताह
प्रणम्य छी समय
अहाँक पार तऽ नहि पओलहुँ
अहाँक पार जयबाक प्रतीक्षा अछि।