Last modified on 24 मार्च 2014, at 12:55

के देखतै / मन्त्रेश्वर झा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:55, 24 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मन्त्रेश्वर झा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बाउ, अहूँ भऽ गेलिऐ परदेसिया
गाम घरक सुधियो
बिसरि गेलिऐ
ने आयब ने जायब
ने कोनो खोज पुछारी
कहाँ दन परदेसे मे
बना रहलिऐ ए बखारी
गाम घर सुन्न भेल जा
रहलै - ए
गाम घर के आब के देखतै बाउ?
साहेब, कहाँ दन अहूँ करय
लगलियै - ए बैमानी
करऽ लगलिऐ ए घुसखोरी
चल गेलिऐ-ए कोनो
धनिकहाक पाकेट मे
करऽ लगलिऐ - ए नाच
मेम सभक संग दिन राति
आब गरीबहा के
के देखतै साहेब
न्याय आ अन्याय के
के फुटौते साहेबजी
के देखतै जनता के
सरकार,
आब अहूँ सभ लागि
गेलिऐ - ए
ओही उठाक पटक मे
राजनीति मे
जाहि मे भोटक
फसिल कटैत रहैत
छी केवल अपने लेल
फंदा लगाके करैत छिऐक धंधा
बोली लगबैत छिऐ
लाटरी खोलैत रहैत छिऐ
मंडल पर कमंडल पर
आकाश पर
हमरासभक उपास पर
सिंहासन बनबैत रहैत छिऐ
असमर्थ लोकक लहास पर
बौक लोकक बोली के राजा के
उड़ैत रहैत छिऐ स्विटजरलैंडक
सोनाक गाछ पर
कनियो तऽ सोचियौ जे
देश के आब के देखतै
सरकार?