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शेषनाग / मन्त्रेश्वर झा

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सत्तरि कि अस्सी सालक
कृशकाय वृद्ध
हँफैत चला रहल अछि रिक्शा
अनाम रिक्शावाला।
ओ नहि रहल अछि व्यक्ति
नाम नै छैक ओकर
ओ छी मात्र एक रिक्शाचालक
रौद मे तपैत,
जाड़मे कँपैत,
भीजैत बरसात मे
पसेना मे नहाइत,
चला रहल अछि, चलबैत
जा रहल अछि, जर्जर रिक्शा
ऊबड़-खाबड़ सड़क, खाधि चभच्चा
खीचि रहल अछि क्विंटल-क्विंटल
सामान कि सवारी,
निरन्तर हँकैत अपन गाड़ी
केहन भागमन्त अछि रिक्शावाला
”हार्ट एटैक सँ अनचोके नहि मरैत अछि कहियो
बड़का लोकक बड़का बीमारी,
नहि पकड़ैत छैक ओकरा
कहियो ने गुदानैत अछि
छोटका मोटका बीमारी,
टाइफाइड, मलेरिया, सर्दी, खांसी, दमा
गठिया कि टी.बी.
खीचैत रहैत अछि रिक्शा
परिवार लेल जीबैत
समाजक दर्द पीबैत
स्वयं दबैत, हकमैत
अपना ऊपर सभक भार उठबैत
तिल तिल जीबैत, तिल तिल मरैत
रिक्शावाला आर क्यो नहि
स्वयं शेषनाग अछि
अशेष शेषनाग।