Last modified on 24 मार्च 2014, at 14:28

अपन देश / मन्त्रेश्वर झा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:28, 24 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मन्त्रेश्वर झा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तहिया अपन गाम, गाम गामक परिवेश
हमर देश छल,
हमर सपना छल, सत्य छल
सनेश छल
नदी मे हेलैत रही आ खेबैत रही नाव
खेलाइत रही कबड्डी, फुटबाल, नुक्का चोरी
लगबैत रही कबाउछ
उकाठी जकाँ बिलबिलाइत रही
अन्हार मे नुकाइत रही, धूरा मे लेटाइत रही
जाड़मे गर्मीमे टूटल-टाटल सड़क
कखनो तबल तऽ कखनो पिच्छड़ सड़क पर
छरपैत-कूदैत स्कूल जाइत रही
तहिया पीसी छली, मामी छली
काकीछली, दादी छली
बाप छला, काका छला
अपन मोनक जमीन्दारी छल
धनकटनी धनकटनी
रामकिसनाक लगाओल चलानी पान खाइत रही
ककरो गोर लगबा मे कनियो ने लजाइत रही
आमक कलम गाछी छल
महिस, गाय, बाछी छल
शुद्ध दूधक दही छल, गोटा छल
दादीकसंग तीर्थयात्रा पर जेबाक उमंग छल
बन्हाइत आ खोलैत, कंबल आ लोटा छल
गाछक गाछ भरि दोपहरिया
छरपैत रही, अनुशाासन मे पढ़ैत रही, रटैत रही
पूजा छल, तमाशा छल
मेला मे घुमबाक अभिलाषा छल
भोज मे झंडा गाड़बाक चुनौती छल
दुखित पड़ला पर दवाइक
बदला पुरिया छल, मनौती छल
समदाउन छल उचिती छल
रोजक बजरल पंचैती छल
डिबिया के क्षीण प्रकाश छल
मुदा अपन सम्पूर्ण आकाश छल
अपने अरजल परदेश मे
से सभटा छूटि गेल
देश छुटल, संस्कार छुटल
पूजा-पाठ आ व्रत उपवासक आचार छुटल
तहिया रही बुझैत संबंधक आज्ञा
माटि पानिक अनुज्ञा
आब चलि रहल अछि अनुबंधक सवारी
बनैत बिगड़ैत मंत्री, सचिव, कोर्ट कि कमिटीक आज्ञाकारी
छूटि गेल उन्मुक्त ठहाका
आबि गेलकरय आब
जबरदस्ती मन्द-मन्द मुसकान
फेकबाक अभिनय।
आब गाड़ी अछि, ठेकान अछिस
सफलताक बोझक अभिज्ञान अछि,
एहिना अङुनाइत रहब, झरैत रहब,
ठूठ होइत रहब,
अन्हड़ बिहाड़ि मे कँपैत रहब, उखरैत रहब
सूर्यके उधार प्रकाश मे
कते दिन रहत आर,
एक दिन विलीन भऽ जायत
चन्द्रमा जकाँ अन्हार मे संसार
आ अन्त मे चल जायब फेर अपने देश