उस दिन / भवानीप्रसाद मिश्र

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उस दिन
आँखें मिलते ही
आसमान नीला हो गया था
और धरती फूलवती

चार आँखों का वह जादू
तुम्हें यहाँ से कैसे भेजूं?
आओ तो दिखाऊं
वह जादू

जादू जैसे
जँबूरे के बिना नहीं चलता
वैसे बिना तुम्हारे
अकेला मैं
न आसमान
नीला कर पाता हूँ
न धरती फूलवती!

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